देहरादून ( जतिन शर्मा )
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि एक ऐसे शिक्षक , जिन्होंने सिखाया कि जीवन में चाहें जैसी भी परिस्थिति क्यों न हो पर जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं । यह शिक्षा आज के युवाओं के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
“इंतजार करने वाले को उतना ही मिलता है जितना संघर्ष करने वाले छोड़ जाते हैं”
स्वामी ने अपने संदेश में कहा कि डाॅ कलाम साहब ने कड़े संघर्ष और लगन की एक सर्वश्रेष्ठ इबारत लिखी है । उन्होंने अखबार बेचते हुये न केवल अपनी पढ़ाई जारी रखी बल्कि सपने देखे और उसे पूरा करने हेतु पूरी लगन , मेहनत और समर्पण के साथ कार्य भी किया । उनका बड़ा ही सुन्दर कथन है कि ‘‘इंतजार करने वाले को उतना ही मिलता है जितना संघर्ष करने वाले छोड़ जाते हैं।’’ कलाम साहब संघर्ष , मेहनत और लगन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण थे ।
स्वामी ने बताया कि कलाम साहब जब डीआरडीओ की टीम के सदस्य थे उस समय टीम के कुछ सदस्यों ने डीआरडीओ के भवन की चहारदीवारी पर काँच के टूटे टुकड़े लगाये जाने की बात कहीं , तब डाॅ कलाम साहब ने कहा कि इससे भवन की सुरक्षा तो हो जायेगी परन्तु पक्षियों के घायल होने का खतरा बना रहेगा इसलिये हमारी पहली जरूरत पक्षियों की सुरक्षा है न की भवन , ऐसे थे हमारे कलाम साहब , जिनके हृदय में सभी के लिये प्रेम और करूणा थी ।
कलाम साहब ने लगभग 20 वर्षो तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ( डीआरडीओ ) में अपनी सेवायें प्रदान की और लगभग 10 वर्षो तक डीआरडीओ के अध्यक्ष रहे । साथ ही उन्होंने रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की भूमिका भी निभाई और फिर 18 जुलाई , 2002 को कलाम साहब भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए । उन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल को स्वदेशी तकनीक से बनाया था । ये सब कलाम साहब का ही कमाल था ।
स्वामी ने कहा कि कलाम साहब सरल और सहज व्यक्तित्व के धनी थे , जब उनका राष्ट्रपति रहते हुये कार्यकाल पूरा हुआ और वे राष्ट्रपति भवन से जा रहे थे तो उनसे विदाई संदेश देने के लिये कहा गया । तब उन्होंने कहा कि विदाई कैसी, मैं अब भी एक अरब देशवासियों में से एक हूँ और भारत का नागरिक हूँ । ऐसे अनेक श्रेष्ठ विचार और गौरवशाली इबारतें लिख गये हमारे कलाम साहब जो हर युग के युवाओं के लिये प्रासंगिक है ।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने बताया की बुधवार की परमार्थ गंगा आरती कलाम साहब को समर्पित की गयी ।