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हर हर महादेव, बम बम भोले के जयकारों की गूंजी हरिद्वार नगरी

Byadmin

Mar 1, 2022

जतिन शर्मा, हरिद्वार ।  महाशिवरात्रि , भगवान शिव के मंत्रों का जाप करते हुए ध्यान लगाने का दिन है। एक स्वच्छ पूजा स्थान पर  “ॐ नमः शिवाय” जैसे मंत्रों का ध्यान और जप करते हुए शिव आराधना कर भगवान शिव का आशीर्वाद ले ।
कुछ अन्य प्रकार के पर्वों के विपरीत , शिवरात्रि का मतलब मौज-मस्ती और दावत नहीं है। भगवान शिव की पूजा करें और आध्यात्म में समय बिताएं । यदि आप पूर्ण उपवास कर रहे हैं तो शिवरात्रि के दौरान न सोएं ।
आज महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। श्रदालु  भोलेनाथ की भक्ति में लीन हैं। सोमवार से ही सड़कों पर कांवड़ में गंगाजल ले जाते भक्त “बम बम भोले, हर-हर महादेव” के जयकारों के साथ चल रहे है । फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है । सोमवार आधी रात के बाद से ही देश की पवित्र नदियों में श्रद्धालु स्नान कर मंदिरों में भगवान शिव को जलाभिषेक कर रहे हैं । ‌भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाया जाता है । इस दिन हरिद्वार हर की पैड़ी का विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है। यहीं से भक्त गंगा जल भरकर ले जाते हैं और अपने-अपने गांव के महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। ‌ शिव की उपासना में इस दिन व्रत करने की मान्यता होती है ।

बता दें कि वैसे तो प्रतिवर्ष 12 शिवरात्रि आती हैं जिसमें फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पर्व को लेकर कई धार्मिक मान्यताऐं हैं , शिवरात्रि वह रात्रि है जिसका शिवतत्व से घनिष्ठ संबंध होता है। भगवान शिव की अतिप्रिय रात्रि को ही शिव रात्रि या काल रात्रि कहा जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के प्रदोष काल में शंकर-पार्वती का विवाह हुआ था। प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में सर्व ज्योतिर्लिंगों का प्रादुर्भाव हुआ था।
शास्त्रों के अनुसार सर्वप्रथम ब्रह्मा व विष्णु ने महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पूजन किया था और सृष्टि की कल्पना की थी। “शिव पुराण के ईशान संहिता” में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्य के समान प्रभाव वाले लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। ऐसी मान्यता है की महाशिवरात्री के पर्व पर भगवान भोलेनाथ का नाम लेने से ही हज़ारों कष्ट कट जाते है ।

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