देहरादून ( जतिन शर्मा )
राष्ट्रीय माता – पिता दिवस ( नेशनल पेरेन्ट्स डे ) की पूर्व संध्या पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विदेश से भेजे संदेश में कहा कि प्रकृति आधारित विकास और प्रकृति आधारित समाधान के साथ हम अपनी भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित रख सकते हैं । अब समय आ गया है कि अपने फ्यूचर , नेचर और कल्चर की रक्षा के लिये हमें पौधा रोपण , संरक्षण करने के साथ सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल बंद करना होगा तभी हम अपनी भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरिक्षत रख सकते हैं । जिस प्रकार बच्चों के नैतिक एवं सकारात्मक विकास के लिए पेरेन्ट्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है उसी प्रकार उन्हें स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण देना भी अभिभावकों की अहम जिम्मेदारी है ।
“धरती माता, मातृभाषा और मातृभूति की रक्षा नितांत आवश्यक”
स्वामी ने कहा कि बच्चों को पोषण , सुरक्षा , संस्कार के साथ उन्हें पर्यावरण , प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरूक करना भी बहुत जरूरी है । बच्चों का पालन – पोषण धरती माता , मातृभूमि और मातृभाषा के साथ प्रेमपूर्ण सम्बंधों स्थापित करते हुये किया जाना अत्यंत आवश्यक है । चारों ओर बढ़ता प्रदूषण पर्यावरण की उपेक्षा की कहानी कह रहा है , इसलिये अभिभावकों का कर्तव्य है कि बच्चों को बाल्यकाल से ही अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक करें । उन्हें धैर्य से सुने और समझायें कि जीवन में सबसे जरूरी है स्वच्छ और प्रदूषण रहित पर्यावरण , जिसके लिये हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा ।
“पर्यावरण बचेगा तो पीढ़ियाँ बचेगी”
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पेरेन्ट्स बच्चों के जीवन को संवारने के लिये अपना पूरा जीवन बलिदान कर देते हैं प्रेम , त्याग और संस्कार से अभिभावक आने वाली पीढ़ी का निर्माण करते हैं , जो न केवल परिवार या राष्ट्र बल्कि पूरी दुनिया में अद्भुत परिवर्तन कर सकते हैं । पेरेन्ट्स से मिले श्रेष्ठ संस्कारों से ही समाज की नींव मजबूत होती है और एक श्रेष्ठ समाज का निर्माण किया जा सकता है । माता – पिता बच्चों के जीवन के आधारस्तम्भ होते हैं । वे बच्चों के जीवन की श्रेष्ठ संस्कारयुक्त नींव रखते हैं तथा उनके लिये अनगिनत बलिदान भी करते हैं । माता – पिता के लिये तो उनकी संतान ही उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है और बच्चों के लिये उनके माता – पिता ही उनके सबसे श्रेष्ठ रोल मॉडल होते हैं ।
स्वामी ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि जिस प्रेम और त्याग के साथ माता -पिता बच्चों की परवरिश करते हैं वही प्रेम , त्याग और सेवाभावना बच्चे अपने अभिभावकों के प्रति भी रखें यह जरूरी है ।