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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज संपूर्ण जनमानस में सुप्रसिद्ध है : गौलोक धाम

Byadmin

Aug 20, 2022

देहरादून ( जतिन शर्मा )

जिस तरह से हम अपना जन्मदिवस मनाते हैं और हमें प्रसंता होती है । उसी प्रकार आज एक महत्वपूर्ण उत्सव है ।

गोलोक धाम से दिग्विजय दास ने बहुत ही सुन्दर व्रतांत कर बताया की हमारे जन्मदिन मे तो केवल परिवार और मित्र ही होते हैं।
किंतु आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को संपूर्ण भारत के साथ – साथ अन्य बहुत से देशों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
आज से 5000 साल पहले राजा कंस और ऐसे ही अनेक विधर्मीयों का अंत करने के लिए स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया । ये बहुत बड़ी आध्यात्मिक घटना थी ।
आज संपूर्ण विश्व को एक सूत्र में बांधने की परम आवश्यकता है और सनातन धर्म की शिक्षाएं यह कार्य कर सकती हैं ।
आज संपूर्ण विश्व 21वीं सदी की ओर बढ़ रहा है ।
भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य शिक्षाओं को अपनाकर हम मानव जाति का कल्याण कर सकते हैं और यह दिव्य शिक्षाएं भगवतगीता में निहित है ।
मैं कौन हूं ,भगवान कौन है, शरीर क्या है , आत्मा क्या है और मरने के बाद क्या होता है । ऐसे ही अनेक सवाल गीता में निहित है । गीता ज्ञान को अपनाकर हम सारे प्रश्नों का जवाब पा सकते हैं । भगवान हम सब से प्रेम करते हैं क्योंकि वह हमारे परमपिता हैं ।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज संपूर्ण जनमानस में सुप्रसिद्ध है और श्रीकृष्ण कृपा मूर्ति ए सी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को इसका बहुत श्रेय जाता है, जिन्होंने अपने गुरु के आदेश पर अमेरिका जैसे अनेक देशों में सनातन संस्कृति को फैलाया और आज 600 से ज्यादा मंदिर संपूर्ण विश्व में कार्यरत हैं। यह एक बहुत बड़ी आध्यात्मिक और ऐतिहासिक घटना है ।
संपूर्ण विश्व को आज सरल जीवन पद्धति और प्रकृति अनुकूल शैली की नितांत आवश्यकता है और भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसी अनेक लीलाएं की जिनसे हम प्रेरणा ले सकते हैं ।
जैसे गौ संवर्धन आज गौ के बिना गोपाल अधूरे है ।
भारत दूध दही घी का प्रमुख उत्पादक था क्योंकि गाय घर घर में थी ।
भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल में गुरु आश्रम में रहकर शिक्षा दीक्षा प्राप्त की और गुरु सेवा का आदर्श प्रस्तुत किया जोकि आज की शिक्षा में बहुत आवश्यक है ।
भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग के विष के प्रभाव से विषैली यमुना को पुनः विष मुक्त किया ।
उच्च पदों पर आसीन इंद्र जैसे राजाओं का मान मर्दन किया और गोवर्धन लीला की, जब जब सत्ता में आसीन लोग अभिमान करेंगे तो उनका भी वही होगा जो इंद्र का हुआ।
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा गरीब से गरीब भी कर सकता है क्योंकि वह स्वयं गीता में कहते हैं अगर कोई प्रेम से मुझे पत्ता, पुष्प, फल या जल अर्पित करता है तो मैं प्रसन्न होता हूँ।
शायद इतना दयालु कोई नहीं होगा । जन्माष्टमी के पावन पर्व पर गोलोक धाम में विशेष पूजन सम्पूर्ण विधि विधान से किया गया जिसके उपरांत उपस्थित भक्तो, श्रोताओं को प्रसाद वितरण किया गया ।

उपस्थित संत जनों ने सबको जन्माष्टमी की बहुत-बहुत मंगल शुभकामनाएं दी ।
यदि आप भगवतगीता से संबंधित और भी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आगे भी हमारे संदेश पढ़ते रहें और सदा प्रसन्न है, हमारा उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को संस्कारवान बनाना है।

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