देहरादून ( जतिन शर्मा )
श्रावण की शिवरात्रि के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देशवासियों को श्रावण शिवरात्रि की शुभकामनायें देते हुये कहा कि आध्यात्मिक और पर्यावरण के दृष्टिकोण से श्रावण का महिना अत्यंत महत्वपूर्ण है । इस माह जमकर बारिश होती है जिससे धरती की सारी तपिश मिट जाती है तथा नव अंकुर निकलते है ।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने संदेश दिया कि श्रावण माह भगवान शिव का माह है । वैसे तो हर माह मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है परन्तु श्रावण की शिवरात्रि का महत्व विशेष होता है । इस दिन शिवभक्त कांवड में गंगाजल लेकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं । अब समय आ गया है कि हम शिवाभिषेक के साथ विश्वाभिषेक करे । अपनी धरा को सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री कर स्वच्छ और निर्मल बनाये रखने में योगदान प्रदान करें ।
“परमार्थ निकेतन में धूमधाम से मनाई श्रावण शिवरात्रि”
स्वामी ने संदेश दिया कि भगवान शिव , आदि योगी है , कल्याणकारी है । भगवान शिव ने जगत के कल्याण के लिये विष को अपने कंठ में धारण कर इस धरा को विषमुक्त किया । वर्तमान समय में हमारे चारों ओर वातावरण में जो प्लास्टिक है वह हजारों वर्षों तक वातावरण में बना रहता है जिससे जल , जंगल और जमीन प्रदूषित हो रही है उस विषाक्त प्लास्टिक को धरा से मुक्त करना होगा । अब हमारा दृष्टिकोण है कि हम विष युक्त जीवन जियें या अमृत से युक्त जियें। हम अपनी जिन्दगी को अमृत से भर लें या विष से भर दें । अगर हम जिन्दगी को विष से भरते है तो हमारा जीवन दिन प्रतिदिन कड़वा होते जायेगा और अगर हम जीवन को अमृत से भर दें तो जीवन दिन प्रतिदिन बेहतर होते जायेगा ।
स्वामी जी ने कहा कि शिवरात्रि महापर्व हमें अपनी अन्र्तचेतना से जुड़ने , सत्य को जनाने , स्व से जुड़़ने तथा शिवत्व को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है । जीवन में आये विषाद् , कड़वाहट और दुख को पी कर आनन्द से परमानन्द की ओर बढ़ने का संदेश देती है । महाशिवरात्रि पूर्ण सत्य और आनन्द की प्राप्ति का महामंत्र है ।
शिवरात्रि का पर्व विविधता में एकता , समर्पण और प्रेम का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है । अलग – अलग विचारों, प्रवृतियों, अभिरूचियों और अनेक विषमताओं के बावजूद प्रेम से मिलजुल कर रहना ही हमारी संस्कृति है और शिवरात्रि हमें यही शिक्षा देती है ।