हरिद्वार, 24 जुलाई। गूरू पूर्णिमा पर्व सलेमपुर स्थित गुरू दरबार में बडी धुमधाम से मनाया गया। इस दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए माता जी ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा का आधार सांसारिक ज्ञान से शुरू होता है। परंतु इसका चरमोत्कर्ष आध्यात्मिक शाश्वत आनंद की प्राप्ति है। जिसे ईश्वर प्राप्ति भी कहा जाता है। बड़े भाग्य से प्राप्त मानव जीवन का यही अंतिम व सर्वाेच्च लक्ष्य होना चाहिए कि गुरु एक मशाल है और शिष्य उसका प्रकाश।

गुरु माता जी ने कहा कि गुरु शिष्य को जीवन जीने की सही दिशा दिखाते हैं। गुरू ही हमारे जीवन में पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। महापुरुषों की संगत में प्रत्येक मनुष्य का कल्याण अवश्य ही निश्चित है। गुरु एक दीपक की तरह होते हैं। जो शिष्य के जीवन को रोशन कर देते हैं और जीवन के अलग-अलग पड़ाव में मुश्किलों से लड़ना सिखाते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो उसे गुरु की आवश्यकता पड़ती ही है। गुरु की असीमित शिक्षा और आशीर्वाद से विद्यार्थी जिंदगी की विषम परिस्थितियों को भी पार कर लेता है। गुरु की भूमिका सबके जीवन में महत्वपूर्ण होती है।

प्रत्येक व्यक्ति को गुरु के प्रति आस्था विश्वास और सम्मान रखना चाहिए और छोटे बड़े फैसले लेने से पूर्व अपने गुरु से राय अवश्य लेनी चाहिए। यदि हम जीवन में हर प्रकार की कलाओं को संपूर्ण रुप से सीखना चाहते हैं तो हमें गुरु की शरण में अवश्य ही जाना चाहिए।
।।गूरूकृपा न्यूज हरिद्वार।।