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गुरु पूर्णिमा

Byadmin

Jul 5, 2020


गुरु चरणों में स्वर्ग है गुरु सेवा में मुक्ति भवसागर उद्धार की गुरु पूजन ही युक्ति गुरु पूर्णिमा 

“गुरु” कोई “व्यक्ति” नहीं, कोई “शरीर” नहीं, “गुरु” एक “तत्व” है , एक “शक्ति है” । “गुरु” यदि “शरीर” होता, तो इस छोटी सी “दुनिया” में, एक ही “गुरु” “पर्याप्त” होता । “गुरु” एक “भाव” है, “गुरु” “श्रद्धा” है । “गुरु” “समर्पण” है । आपका “गुरु: आपके “व्यक्तित्व” का “परिचय” है । “कब” “कौन”, “कैसे” आपके लिये “गुरु” “साबित” हो, यह आप की “दृष्टि “एवं “मनोभाव “पर निर्भर करता है । “गुरु” “प्रार्थना” से मिलता है । “गुरु” “समर्पण” से मिलता है, “गुरु” “दृष्टा” “भाव” से मिलता है, “गुरु” “किस्मत: से मिलता है । और………. “गुरु” “किस्मत” वालों को “मिलता” है

गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ

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