“प्रभु श्री राम की शरण, उनके चरण एवं उनका आचरण हमारे जीवन का पाथेय बनें”
देहरादून ( जतिन शर्मा ) ।
“मानस कथा के मंच से समुद्री जीवों के संरक्षण का दिया संदेश” विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने मासिक मानस कथा के मंच से पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखने का संदेश देते हुये कहा कि कछुये अपने संबंधित पारिस्थितिक तंत्र को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते । समुद्र तटों को स्वच्छ रखने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।
जैव विविधता संरक्षण और माँ गंगा के कायाकल्प के लिये भारत में कछुओं को संरक्षित करना नितांत आवश्यक है । यह समुद्री खाद्य श्रृंखला को संतुलित करने और पानी से जमीन तक पोषक तत्वों के चक्रण को सुविधाजनक बनाने में भी मदद करते है । कछुओं के संरक्षण से जैव विविधता के संरक्षण और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।
स्वामी जी ने कहा कि पृथ्वी पर अनेक पौधे और जीव विलुप्त होते जा रहे हैं । बढ़ती जनसंख्या के कारण उनके प्राकृतिक आवासों को नष्ट किया जा रहा है । साथ ही जलवायु परिवर्तन और प्लास्टिक कचरा जैसे कारक जीवों की विलुप्ति के लिये जिम्मेदार है।
बढ़ता प्लास्टिक कचरा समुद्री जीवन को खतरे में डाल रहा है । साथ ही लैंडफिल या प्राकृतिक वातावरण में निवास करने वालों के लिये स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है ।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री राम कथा के मंच से संदेश दिया कि रामायण हमें प्रेम और सत्य का संदेश देती है और भगवान श्री राम ने हमेशा ही पर्यावरण , राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा को ही सर्वोपरि माना । उन्होंने पूरा जीवन प्राणियों और पर्यावरण की रक्षा के साथ समता और सद्भाव के सेतु बनाये । भगवान श्री राम की गौरव गाथा संघर्ष और साहस का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है ।
भगवान श्री राम जी का जीवन सागर सी गहराई और हिमालय सा धैर्य युक्त जीवन है । मानस कथा के इस पावन भक्तिमय अवसर पर प्रभु श्री राम की शरण, उनके चरण एवं उनका आचरण हमारे जीवन का पाथेय बनें ।