हरिद्वार ( जतिन शर्मा )
“कुलाधिपति वर्चुअल जुड़े, नवप्रवेशी विद्यार्थियों को किया दीक्षित”
ज्ञानदीक्षा से संकल्पित होकर नव प्रवेशार्थियों ने बढ़ाया राष्ट्र सेवा की ओर पहला कदम
भारत के 20 राज्यों सहित चार देशों के 510 नवप्रवेशी विद्यार्थी हुए दीक्षित।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज के चालीसवाँ ज्ञानदीक्षा समारोह में नवप्रवेशी विद्यार्थी समाज और राष्ट्र सेवा की ओर अपना पहला कदम बढ़ाते हुए वैदिक सूत्रों में बंधे। देसंविवि में संचालित चालीस से अधिक विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए भारत के बीस राज्यों सहित साऊथ कोरिया, यूके, बेल्जियम, जापान के सैकड़ों नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं को दीक्षित किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्पकर सिंह धामी ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि इस परम धाम में इस मौके पर आने का अवसर मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सबको यहाँ बुलाया गया है, आप सब विशिष्ट कार्य के लिए बने हैं। मुख्यमंत्री ने छात्रों से आह्वान करते हुए कहा कि हम सब को यह संकल्प लेना चाहिए कि इस ज्ञान की गंगा के प्रभाव को कम नहीं होने देंगे और नए भारत को बनाने में सभी योगदान देंगे। उन्होंने कहा हम सबके पास आने वाले 25 वर्षों में अमृत काल को स्वर्णिम अक्षरों में लिखने का मौका है।
मुख्यमंत्री ने गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा को याद करते हुए कहा कि इस संसार में बहुत कम गिने-चुने लोग हैं जिन्होंने अपने विचारों से करोड़ों लोगों का जीवन बदला है। आचार्य श्रीराम शर्मा द्वारा समाज में जनजागृति लाने का पुनीत कार्य भी किया गया। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। प्रतिवर्ष 21 जून को आयोजित होने वाला योग दिवस इसका एक उदाहरण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी छात्र अपने परिश्रम से इस ज्ञान की गंगोत्री को सफल बनाते हुए आगे बढ़ाएंगे। इससे पूर्व धामी ने वीर शहीदों की याद बने शौर्य दीवार पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
देसंविवि के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ऑनलाइन जुड़े और नवप्रवेशी विद्यार्थियों को ज्ञानदीक्षा के सूत्रों से दीक्षित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञानदीक्षा संस्कार विद्यार्थियों को नवजीवन प्रदान करने वाला है। जीवन में आध्यात्मिकता को उतारने का यह श्रेष्ठ अवसर है।
प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने ज्ञानदीक्षा की महत्ता बताते हुए कहा कि ज्ञानदीक्षा एक पुनीत पर्व है। वैदिक कर्मकाण्ड के माध्यम से विद्यार्थियों एवं आचार्यों के साथ जुड़ने का, सहभागी बनने को सुअवसर पर मिल रहा है। इसके माध्यम से ज्ञानदीक्षा का यही अर्थ हमारे व्यक्तित्व में अंदर प्रतिष्ठित होता है।
इससे पूर्व समारोह का शुभारंभ मुख्यमंत्री धामी, कुलपति शरद पारधी एवं प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने दीप प्रज्वलन कर किया। विवि के कुलगीत के बाद देसंविवि के कुलपति शरद पारधी ने पौधा भेंटकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया। उदय किशोर मिश्र ने नवप्रवेशार्थी छात्र-छात्राओं को वैदिक रीति से ज्ञानदीक्षा दिलाई। कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने नवप्रवेशी विद्यार्थियों को आनलाइन ज्ञानदीक्षा के संकल्प दिलाया। मुख्यमंत्री धामी ने चयनित विद्यार्थियों को विवि का प्रतीक चिह्न भेंट किया। इस मौके पर आचार्यश्री द्वारा लिखित तीन हजार पांच सौ किताबों का कैटलॉक, विवि की यज्ञ रिसर्च जर्नल, धनवंतरी के नवीन संस्करण आदि का अतिथियों ने विमोचन किया। इस अवसर पर देसंविवि के कुलसचिव बलदाऊ, समस्त आचार्यगण, शांतिकुंज परिवार के वरिष्ठ सदस्य तथा देश-विदेश से आये विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकगण तथा जिला प्रशासन के अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं पत्रकार बंधु मौजूद रहे।