हरिद्वार ( जतिन शर्मा )
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
गुरु पूर्णिमा के विशेष पर्व पर महंत हरेराम गिरी ( श्री रणकेश्वर धाम ) ने बताया की गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है । इस दिन गुरु पूजा का बहुत महत्व माना जाता है । हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से बढ़कर माना जाता है और गुरु का जीवन में विशेष महत्व होता है । उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हर साल गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है ।
गुरु पूर्णिमा का पर्व महार्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है । वेदव्यास जो ऋषि पराशर के पुत्र थे । शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है ।
माना जाता है कि महर्षि व्यास ने ही वेदों को अलग-अलग खण्डों में विभाजित कर उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। जिसके कारण उन्हें वेद व्यास कहा जाने लगा ।
भारत भूमि देवताओं की भूमि है हिंदू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है ।
गुरु पूर्णिमा का रहस्य
गुरू पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरूजनों को समर्पित परम्परा है जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और प्रबुद्ध करने , बहुत कम अथवा बिना किसी मौद्रिक खर्चे के अपनी बुद्धिमता को साझा करने के लिए तैयार हों । इसको भारत, नेपाल और भूटान में हिन्दू, जैन और बोद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते हैं ।
गुरु पूजन का महत्व
शास्त्रों में गुरु पूर्णिमा के दिन पूजन का विशेष महत्व होता है । इस शुभ तिथि पर गुरु पूजन से अनेक तरह के लाभ प्राप्त होते हैं । – जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह से संबंधित कोई दोष हो तो गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन करने से यह दोष खत्म हो जाते हैं । – गुरु पूजन से कुंडली में मौजूद पितृदोष भी खत्म हो जाता है ।
शुभ योग
13 जुलाई 2022 को सुबह 4:00 बजे से रात्रि 12:00 बजे तक गुरु पूर्णिमा की समय अवधि रहेगी ।
इस वर्ष गुरु पूर्णिमा पर शश नामक पंच महापुरुष योग, इंद्र योग बुधादित्य योग, बुध के मिथुन में गोचर करने के कारण भद्र योग बन रहे हैं