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परमार्थ निकेतन के गंगा तट पर चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर प्रवाहित हो रही है श्री राम कथा

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Apr 5, 2022

ऋषिकेश ( जतिन शर्मा ) : परमार्थ निकेतन में आयोजित श्री रामकथा में श्री रामजन्म प्रसंग के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सहभाग कर श्रद्धालुओं को उद्बोधन दिया। गोवत्स राधाकृष्ण श्री रामकथा का गुणगान कर रहें है , चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर श्री रामकथा की रसधार प्रवाहित हो रही है ।
इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पतित पावन, मर्यादापुरूषोत्तम श्री राम का जीवन एक आदर्श पूर्ण चरित्र है, वे धर्म के साक्षात दिव्य स्वरूप हैं। श्री राम अनन्त और अखंड प्रेम के प्रतीक है। चाहे शबरी हों , या केवट हों , गीधराज हों या निषादराज हों सभी को उन्होंने प्रेम से गले लगाया और भावपूर्वक झूठे बेर भी खाये । कितना प्यारा गीत हैं ‘‘सबसे ऊँची प्रेम सगाई’’ यह गीत शबरी के बेर और सुदामा की प्रभु श्री राम के प्रति निष्ठा की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भगवान श्री राम ने माता-पिता की आज्ञा पालन करने के लिये सर्वस्व त्याग कर बिना किसी शिकायत के वनगमन किया। राजकुमार से वनवासी बन गये पर चेहरे पर वही मुस्कान थी। सनातन संस्कृति के उन्नायक भगवान श्री राम ने मर्यादाओं का पालन करते हुये माता कैकेयी और पिता की आज्ञा का निर्विरोध पालन किया और पुत्र धर्म को निभाया। साथ ही पति धर्म को भी बखूबी निभाया, माता सीता की रक्षा की, मर्यादा और सम्मान के लिये धर्मयुद्ध किया। आज भी जरूरत है नारियों के प्रति सम्मान और सुरक्षा की।
प्रभु ने सखा धर्म निभाते हुये विभीषण और सुग्रीव के प्राणों की रक्षा कर उनका सम्मान और गौरव वापस दिलवाया। भाई-भाई के बीच प्रेम का दर्शन करना हो तो श्री राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के बीच जो अगाध प्रेम , करूणा और समर्पण है वह देखते ही बनता है। भाईयों के बीच तकरार भी हुई पर गद्दी के लिये नहीं बल्कि पादुका के लिये , भोग के लिये नहीं बल्कि त्याग के लिये महल के लिये नहीं बल्कि मर्यादाओं के लिये । प्रभु श्री राम ने जंगल में एक-एक कुटिया में जाकर ऋषियों का हाल जाना उन्होंने धरती पर रहने वाले सभी प्राणियों को समान सम्मान , आदर और प्रेम दिया । भक्त और भगवान का अद्वितीय उदाहरण है श्री राम और हनुमान जी का चरित्र ।
प्रभु ने राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा को ही सर्वोपरि माना, पूरा जीवन समता और सद्भाव के सेतु बनाये, राष्ट्र सेतु का निर्माण किया । सागर सी गहराई और हिमालय सा धैर्य युक्त जीवन है उनका । श्री राम जी का जीवन अमृत की वह रसधार है जिसकी हर बूंद से एक महाग्रंथ लिखा जा सकता है ।
राधाकृष्ण ने कहा कि प्रभु श्री राम एक प्रजापालक राजा , आदर्श पुत्र , कर्तव्यनिष्ठ पति , प्रेम से ओतप्रोत भ्राता समर्पित सखा और कर्तव्यपरायण शिष्य के रूप में संयमित , संस्कारित , मर्यादित जीवन जीने वाले एक अद्भुत आदर्श हैं। भगवान श्री राम की गौरव गाथा संघर्ष और साहस का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। श्री राम कथा के माध्यम से प्रभु श्री राम की शरण , उनके चरण एवं उनका आचरण हमारे जीवन का पाथेय बनें।
सभी श्रद्धालुओं ने आज भगवान श्री राम जी के जन्म उत्सव का आनंद लिया तथा आयोजक परिवार के सदस्यों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी कर जल संरक्षण का संकल्प लिया ।

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